अवैध नशा व्यावारी के जाल में फसा पुरा क्षेत्र
बो पड्यों थानों, बा पड्ी तहसील, म्हारों कि बिगाड्ओं तो बिगाड्दयों एक बारी म्हे संजीव पटावरी नै ही कुट दियों। थे सामान ही कै हो - जगदीश घोटिया घर में अवैध शराब विक्रेता
हे मैह तो इंयाई बैचागा, थाना में पिसा द्याहा। - प्रदिप घोटिया परचून में दूकान में शराब विक्रेता
नोहर। नशे के नशे में जनता व पैसों का प्रशासन यह सब आलम पूरे जिले में देखने को मिलता है पर बात आज एक पंचायत की। पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पिचकरांई में 6 आर.पी.एम. चक, 7-9 चक, 16-17 चक, 1 चक (शिवपुरा) सहित कई ढाणियां कई सम्मलित है। 6 आर.पी.एम. में आबकारी विभाग द्वारा अधिकृत शराब की दुकान है। जबकि गांव पिचकरांई में तीन दसकों से अवैध शराब खुल्ले आम बिक्री की जाती आ रही हैं। शराब माफियों को प्रशासन का बिल्कुल भी खोप नहीं है। गांव पिचकरांई में अवैध शराब (नशे) की बिक्री दिनों दिन बढ़ती ही जा रहीं है। (चर्चा में है कि अब ये लोग चिट्टा के नशा भी रखते है) वर्तमान में नशा विक्रेता अपने घरों के साथ-साथ अपनी परचुन की दुकान में भी खुल्ले आम शराब की बिक्री कर रहे। परचुन की दुकान की आड में ये नशा विक्रेता नन्हें बच्चों को भी नशे का आदि बना रहे। बियर बच्चों को जौ का पानी व ठण्डा बोलकर बिक्री करते है। बच्चों को बोलते है पी कर देखों बहुत ठाठ आयेगा। ये नशा विक्रेता होम डिलिवरी भी देते है। जो अपने घर वालों के भय की वजह के इनके घर व दुकान पर नहीं आ सकते उनके आॅर्डर मोबाईल फोन, फेसबुक व वाट्सएप लेकर पहुंचाते है। इन अवैध शराब विक्रेताओं की सूचि आबकारी विभाग के पास है परन्तु सुविधा शुल्क लेकर इनके इस कृत्य में सहयोग करते है। विभाग को शिकायत करने में बहुत चालाकी से शिकायत खारीज कर देता है। इन शराब माफियाओं के खिलाफ शिकायत होने पर आबकारी विभाग इन शराब माफियाओं से सम्पर्क करता है, और उन्हें बोलता है। आपके विरूध शिकायत है हमने जवाब तैयार कर लिया आप अपने गांव के सरपंच से लिखवाकर ले आओ। कि गांव में कोई अवैध शराब बिक्री नहीं हो रहीं है। चन्द पैसों के लालच में समाज विरोधी कार्य कें सरपंच भी लिप्त हो जाता है। जैसे एक शिकायत पर गांव का सरपंच इन शराब माफियों के पक्ष में खड़ा हो गया और आबकारी विभाग को लिखित में दे देता है कि गांव में कोई अवैध शराब नहीं बेची जा रहीं है। केवल 6 आर.पी.एम. में अधिकृत ठेके पर ही बिक्री होती है। आबकारी विभाग के साथ-साथ इन शराब माफियों का मोहरा बनकर पुरे समाज को नशे की और धकेलने में इनको सहयोगी एक जनप्रतिनिधि भी हो जाता है। ऐसे जनप्रतिनिधि स्वयं का महत्व भी नहीं जानते कि आपके द्वारा लिखी गई दो लाईन समाज को नशे और अपराध की और धक्केल रहीं है। सरपंच (पंच) विधायक, सांसद एक जन प्रतिनिधि न होकर इन शराब माफियों का प्रतिनिधि हो जाता है। इनके साथ जिले का पुरा प्रशासन भी तमास बिन बन जाता है और इन शराब माफियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकता।
बो पड्यों थानों, बा पड्ी तहसील, म्हारों कि बिगाड्ओं तो बिगाड्दयों एक बारी म्हे संजीव पटावरी नै ही कुट दियों। थे सामान ही कै हो - जगदीश घोटिया घर में अवैध शराब विक्रेता
हे मैह तो इंयाई बैचागा, थाना में पिसा द्याहा। - प्रदिप घोटिया परचून में दूकान में शराब विक्रेता
नोहर। नशे के नशे में जनता व पैसों का प्रशासन यह सब आलम पूरे जिले में देखने को मिलता है पर बात आज एक पंचायत की। पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पिचकरांई में 6 आर.पी.एम. चक, 7-9 चक, 16-17 चक, 1 चक (शिवपुरा) सहित कई ढाणियां कई सम्मलित है। 6 आर.पी.एम. में आबकारी विभाग द्वारा अधिकृत शराब की दुकान है। जबकि गांव पिचकरांई में तीन दसकों से अवैध शराब खुल्ले आम बिक्री की जाती आ रही हैं। शराब माफियों को प्रशासन का बिल्कुल भी खोप नहीं है। गांव पिचकरांई में अवैध शराब (नशे) की बिक्री दिनों दिन बढ़ती ही जा रहीं है। (चर्चा में है कि अब ये लोग चिट्टा के नशा भी रखते है) वर्तमान में नशा विक्रेता अपने घरों के साथ-साथ अपनी परचुन की दुकान में भी खुल्ले आम शराब की बिक्री कर रहे। परचुन की दुकान की आड में ये नशा विक्रेता नन्हें बच्चों को भी नशे का आदि बना रहे। बियर बच्चों को जौ का पानी व ठण्डा बोलकर बिक्री करते है। बच्चों को बोलते है पी कर देखों बहुत ठाठ आयेगा। ये नशा विक्रेता होम डिलिवरी भी देते है। जो अपने घर वालों के भय की वजह के इनके घर व दुकान पर नहीं आ सकते उनके आॅर्डर मोबाईल फोन, फेसबुक व वाट्सएप लेकर पहुंचाते है। इन अवैध शराब विक्रेताओं की सूचि आबकारी विभाग के पास है परन्तु सुविधा शुल्क लेकर इनके इस कृत्य में सहयोग करते है। विभाग को शिकायत करने में बहुत चालाकी से शिकायत खारीज कर देता है। इन शराब माफियाओं के खिलाफ शिकायत होने पर आबकारी विभाग इन शराब माफियाओं से सम्पर्क करता है, और उन्हें बोलता है। आपके विरूध शिकायत है हमने जवाब तैयार कर लिया आप अपने गांव के सरपंच से लिखवाकर ले आओ। कि गांव में कोई अवैध शराब बिक्री नहीं हो रहीं है। चन्द पैसों के लालच में समाज विरोधी कार्य कें सरपंच भी लिप्त हो जाता है। जैसे एक शिकायत पर गांव का सरपंच इन शराब माफियों के पक्ष में खड़ा हो गया और आबकारी विभाग को लिखित में दे देता है कि गांव में कोई अवैध शराब नहीं बेची जा रहीं है। केवल 6 आर.पी.एम. में अधिकृत ठेके पर ही बिक्री होती है। आबकारी विभाग के साथ-साथ इन शराब माफियों का मोहरा बनकर पुरे समाज को नशे की और धकेलने में इनको सहयोगी एक जनप्रतिनिधि भी हो जाता है। ऐसे जनप्रतिनिधि स्वयं का महत्व भी नहीं जानते कि आपके द्वारा लिखी गई दो लाईन समाज को नशे और अपराध की और धक्केल रहीं है। सरपंच (पंच) विधायक, सांसद एक जन प्रतिनिधि न होकर इन शराब माफियों का प्रतिनिधि हो जाता है। इनके साथ जिले का पुरा प्रशासन भी तमास बिन बन जाता है और इन शराब माफियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकता।
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